Section 201 IPC in Hindi
भारतीय दण्ड सहिंता ( Indian Penal Code ) की धारा 201 क्या है । पाठको द्वारा धारा 201 के सन्दर्भ मे सबसे ज्यादा गूगल पर Search किये जाने वाला वाक्य है ” Section 201 IPC in Hindi ”।
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जब कोई आरोपित व्यक्ति किसी अपराध को अंजाम देता है। तो वो व्यक्ति खुद या उसका कोई परिचित व्यक्ति “ किये गए अपराध के साक्ष्य मिटाने का प्रयत्न करता है ” या फिर ” अपराध से जुड़े मामले मे जानबूझकर गलत जानकारी देता है” ।
हमारे ब्लॉग पोस्ट को हमने पाठकों के नज़रिए से लिखा है । हमारा मकसद है की कानून की जानकारी हांसिल करने मे भाषा को दीवार नहीं बनना चाहिए । ब्लॉग मे हिंगलिश ( Hindi+English ) का इस्तेमाल किया गया है ।
इस ब्लॉग पोस्ट मे धारा 201 IPC से जुड़े सजा के प्रावधान ( Punishment in section 201 IPC ) और जमानत के प्रावधानों ( Bail in section 201 IPC ) की भी संपूर्ण जानकारी शामिल की गयी है।
आशा करते है की आपको धारा 201 IPC से जुड़े सवाल ” Section 201 IPC in Hindi ” का जवाब मिल जायेगा।
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धारा 201 का उदहारण ।
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धारा 201 IPC क्या है ?
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धारा 201 IPC में सजा (Punishment)का प्रावधान ?
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धारा 201 में जमानत (Bail) का प्रावधान ?
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धारा 201 ज़मानती है या गैर जमानती अपराध है ?
1 .धारा 201 का उदहारण ?
मोहन और अजय बहुत अच्छे मित्र थे। एक दिन मोहन की मकान मालिक से लड़ाई हो गयी। मोहन ने मकान मालिक के सर पर लोहे के सरिये से मारा।
चोट लगने की वजह से मकान मालिक की मृत्यु हो गयी। मोहन ने अजय को फोन करके पूरी घटना बताई। मोहन अजय के पास आया।
मोहन और अजय ने सरिया नाले मे फेंक दिया । मोहन ने पुलिस को भी बयां दिया की अजय घटना के वक़्त मोहन के साथ उसके घर मे था।
जब पुलिस ने जांच की तो पाया मोहन झूट बोल रहा है और मोहन ही था जिसने लोहे के सरिये को छुपाने की कोशिश की थी।
अतः मोहन धरा 201 का दोषी है।
2 .भारतीय दंड सहिंता की धारा 201 क्या है ?
भारतीय दंड संहिता की धारा 201 अपराध के साक्ष्य को गायब करना या अपराधी को कानूनी प्रक्रिया से बचाने के लिए झूठी जानकारी देना। 201 IPC in Hindi
जो व्यक्ति , यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है, अपराधी को कानूनी प्रक्रिया से बचाने के इरादे से उस अपराध के किए जाने के किसी भी सबूत को गायब कर देता है
इस इरादे से अपराध के संबंध में कोई भी जानकारी देता है जिसे वह जानता है या गलत मानता है जिस अपराध की सजा यदि मृत्युदंड है।
यदि वह अपराध जिसके बारे में वह जानता है या उसके बारे में विश्वास करता है कि वह मृत्यु से दंडनीय है, तो वह किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा
यदि अपराध की सजा आजीवन कारावास है या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है 201 IPC in Hindi
तो अपराध के साक्ष्य को गायब करने वाले व्यक्ति को दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा यदि
किसी अपराध की सज़ा दस वर्ष से कम कारावास से दंडनीय है और यदि अपराध किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडनीय है
जो दस वर्ष तक नहीं बढ़ाया जा सकता है तो साक्ष्य को गायब करने वाले व्यक्ति को अपराध के लिए प्रदान किए गए विवरण के कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है या अपराध के लिए प्रदान की गई कारावास की सबसे लंबी अवधि का चौथा भाग या जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है
× उदाहरण
A यह जानते हुए कि B ने Z की हत्या कर दी है और बी को सजा से बचाने के इरादे से शरीर को छिपाने के लिए बी की सहायता करता है तो वह सात वर्ष के कारावास और जुर्माने से भी दण्डनीय है।
3 .भारतीय दंड सहिंता की धारा 201 मैं सजा का प्रावधान ? 201 IPC in Hindi
जिस अपराध की सजा यदि मृत्युदंड है यदि वह अपराध जिसके बारे में वह जानता है या उसके बारे में विश्वास करता है कि वह मृत्यु से दंडनीय है, तो वह किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा
यदि अपराध की सजा आजीवन कारावास है या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तो अपराध के साक्ष्य को गायब करने वाले व्यक्ति को दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा 201 IPC in Hindi
यदि किसी अपराध की सज़ा दस वर्ष से कम कारावास से दंडनीय है और यदि अपराध किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडनीय है जो दस वर्ष तक नहीं बढ़ाया जा सकता है तो साक्ष्य को गायब करने वाले व्यक्ति को अपराध के लिए प्रदान किए गए विवरण के कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है या अपराध के लिए प्रदान की गई कारावास की सबसे लंबी अवधि का चौथा भाग या जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है
4 .धारा 201 IPC में जमानत का प्रावधान ?
भारतीय दंड संहिता की धारा 201 अपराध के साक्ष्य को गायब करना या अपराधी को कानूनी प्रक्रिया से बचाने के लिए झूठी जानकारी देना।जो व्यक्ति , यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है, अपराधी को कानूनी प्रक्रिया से बचाने के इरादे से उस अपराध के किए जाने के किसी भी सबूत को गायब कर देता है
इस इरादे से अपराध के संबंध में कोई भी जानकारी देता है जिसे वह जानता है या गलत मानता है जिस अपराध की सजा यदि मृत्युदंड है। यदि वह अपराध जिसके बारे में वह जानता है या उसके बारे में विश्वास करता है कि वह मृत्यु से दंडनीय है, तो वह किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा यदि अपराध की सजा आजीवन कारावास है या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है
तो अपराध के साक्ष्य को गायब करने वाले व्यक्ति को दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा यदि किसी अपराध की सज़ा दस वर्ष से कम कारावास से दंडनीय है और यदि अपराध किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडनीय है जो दस वर्ष तक नहीं बढ़ाया जा सकता है
तो साक्ष्य को गायब करने वाले व्यक्ति को अपराध के लिए प्रदान किए गए विवरण के कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है या अपराध के लिए प्रदान की गई कारावास की सबसे लंबी अवधि का चौथा भाग या जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है
यह एक जमानती अपराध है तो IPC की धारा 201 में जमानत मिलने का प्रावधान बहुत सख्त और कठिन नहीं है।
5 . धारा 201 IPC ज़मानती है या गैर जमानती अपराध है ?
आईपीसी की धारा 201 मे सजा का प्रावधान अभी हमने पढ़ा अब हम इस विषय में जानने की कोशिश करेंगे कि यह अपराध गैरजमानती है या जमानती अपराध है?परंतु उससे पहले हमें जमानती अपराध और गैर जमानती अपराध के विषय में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए।
× गैर जमानती अपराध क्या है?
गैर जमानती अपराधों में डकैती लूट रेप हत्या की कोशिश फिरौती के लिए अपहरण ओर गैर इरादतन हत्या जैसे अपराध शामिल हैं इस तरह के मामलों में अदालत के सामने तथ्य पेश किए जाते हैं और फिर कोर्ट जमानत पर निर्णय लेता है गैर जमानती अपराध वह अपराध होता है जिसमें अपराध करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना पड़ता है।
× जमानती अपराध क्या है?
जमानती अपराध में मारपीट ,धमकी, लापरवाही से मौत,लापरवाही से गाड़ी चलाना जैसे अपराध आते हैं। ऐसे अपराधों को जमानती बताया गया है और इसमें अपराधी की जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्तव्य है जमानती अपराधों में कोर्ट को जमानत देना अनिवार्य है परंतु गैर जमानती अपराध में कोर्ट( न्यायालय) अपनी इच्छा के अनुसार अपराधी की जमानत याचिका को खारिज कर सकता है।