325 IPC in Hindi – धारा 329 क्या है

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325 ipc in hindi

भारतीय दण्ड सहिंता ( Indian Penal Code )   की धारा 360 क्या है । पाठको द्वारा धारा 360 के सन्दर्भ मे  सबसे ज्यादा गूगल पर  Search  किये जाने वाला वाक्य  है  ” Section 360 IPC in Hindi ” । हमारे ब्लॉग पोस्ट को हमने पाठकों  के नज़रिए  से लिखा है । 

हमारा मकसद है की कानून की जानकारी हांसिल करने मे  भाषा को दीवार  नहीं बनना चाहिए । ब्लॉग मे हिंगलिशHindi +English ) का इस्तेमाल किया गया है 

Section 360 IPC in Hindi – धारा 360 क्या है (360 IPC in Hindi)

  1. भारतीय दंड संहिता की धारा 360 क्या है?
  2. भारतीय दंड संहिता की धारा 360 मैं सजा का प्रावधान?
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में जमानत का प्रावधान?
  4. 360 IPC in Hindi

1. भारतीय दंड संहिता की धारा 360 क्या है?

जब कोई व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति को भारत की भूगोलिक  सीमा  ( Geographical territory of India ) से बाहर ले जाता है ।

कानूनी तौर ये मान लिया जाता है कि उसका भारत की सीमा से  अपहरण ( Kidnapped from India ) कर लिया गया है ।

जैसे ही व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध भारत की सीमा से  बाहर  ले जाया जाता है । उस परिस्थिति मे  भारत की सीमा  पार करते ही ये अपराध पूर्ण हो जाता है । 360 IPC in Hindi

आईपीसी की धारा 360 के अनुसार जो भी कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का उस व्यक्ति की ,या उस व्यक्ति की ओर से सहमति देने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत व्यक्ति की सहमति के बिना भारत की सीमाओं से परे ले जाता है वह भारत में उस व्यक्ति का व्यपहरण करना कहलाता है।

2. IPC कीधारा 360 मैं सजा का प्रावधान।

भारतीय दंड संहिता की धारा 360 का दंड भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अनुसार दिया जाता है।

भारतीय दंड संहिता 363 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना भारत की सीमा से बाहर ले जाता है तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय न्यायालय सात वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित करती है। 360 IPC in Hindi

3.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में जमानत का प्रावधान।

भारतीय दंड संहिता 360 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना भारत की सीमा से बाहर ले जाता है तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय न्यायालय सात वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित करती है।

यह एक गैर जमानती अपराध है तो IPC की धारा 360 में जमानत मिलने का प्रावधान बहुत सख्त और कठिन है। 360 IPC in Hindi

4.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 ज़मानती यह गैर जमानती अपराध है।

आईपीसी की धारा 360 मे सजा का प्रावधान अभी हमने पढ़ा अब हम इस विषय में जानने की कोशिश करेंगे कि यह अपराध गैरजमानती है या जमानती अपराध है?परंतु उससे पहले हमें जमानती अपराध और गैर जमानती अपराध के विषय में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए।  360 IPC in Hindi

 गैर जमानती अपराध क्या है?

गैर जमानती अपराधों में डकैती लूट रेप हत्या की कोशिश फिरौती के लिए अपहरण ओर गैर इरादतन हत्या जैसे अपराध शामिल हैं इस तरह के मामलों में अदालत के सामने तथ्य पेश किए जाते हैं और फिर कोर्ट जमानत पर निर्णय लेता है गैर जमानती अपराध वह अपराध होता है जिसमें अपराध करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना पड़ता है।

 जमानती अपराध क्या है?

जमानती अपराध में मारपीट ,धमकी, लापरवाही से मौत,लापरवाही से गाड़ी चलाना जैसे अपराध आते हैं। ऐसे अपराधों को जमानती बताया गया है और इसमें अपराधी की जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्तव्य हैजमानती अपराधों में कोर्ट को जमानत देना अनिवार्य है

परंतु गैर जमानती अपराध में कोर्ट( न्यायालय) अपनी इच्छा के अनुसार अपराधी की जमानत याचिका को खारिज कर सकता है।

5.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में धारा 90 (सहमति) का महत्त्व क्या है।

लेकिन भारतीय दंड संहिता के धारा 360 के बारे में विस्तृत अध्ययन से पहले हमें भारतीय दंड संहिता क्या है इसका संपूर्ण ज्ञान होना एक महत्वपूर्ण विषय है।

अभी हमने धारा 360 के बारे में विस्तृत जानकारी देते समय यह जाना कि अगर कोई व्यक्ति बिना सहमति के किसी व्यक्ति को भारत की सीमा से बाहर ले जाता है तो वह उस व्यक्ति का व्यपहरण करता है परंतु सहमति क्या है? धारा 90 सहमति के विषय में विस्तृत जानकारी देती है ।

×धारा 90

सहमति डर व गलत धारणा के तहत ली जाने के लिए जानी जाती है। एक समिति ऐसी सहमति नहीं है जैसा कि इस संहिता के किसी भी खंड द्वारा इरादा हैं। यदि सहमति किसी व्यक्ति द्वारा चोट के डर से या तथ्यों की गलत धारणा के तहत दी गई है और यदि कार्य करने वाला व्यक्ति जानता है,या उसके पास विश्वास करने का कारण है, की सहमति ऐसे भय या गलत धारणा के परिणामस्वरूप दी गयी थी, या पागल व्यक्ति की सहमति ली गई थी।

या सहमति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दी गयी है जो दिमाग की अस्वस्थता यह नशे से उस प्रकृति और परिणाम को समझने में असमर्थ हैं जिसके लिए वह अपनी सहमति दे रहा है यदि सहमति 12 वर्ष के व्यक्ति से कम उम्र के व्यक्ति के द्वारा दी गयी है तो इन सभी के होते हुए उस व्यक्ति की सहमति को कानूनी रूप से गलत व अपूर्ण मानते हैं।

× उदाहरण

राम और श्याम दो मित्र हैं। एक रोज़ श्याम नशे की अवस्था में अपनी सारी जमीन राम को देने को सहमत हो जाता है। परंतु सुबह के समय जब राम श्याम के घर उससे जमीन के कागज की मांग करता है तो वह उसे मना कर देता है, राम इस मामले को अदालत में ले जाता है तो श्याम का वकील धारा 90 का हवाला देते हुए जीत जाता है ।

 

 

2.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 से संबंधित कुछ कानूनी मामलों की जानकारी।

Jyotish Dash and Anr. V. State of Tripura

3.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 का IPC में मूल?

धारा 360 का मूल IPC 1860 है और IPC 1860 एक व्यापक कानून है जो भारत में आपराधिक कानून के वास्तविक पहलुओं को शामिल करता है यह अपराधों को बताता है और उनमें से प्रत्येक के लिए सजा और जुर्माना बताता है।