378 IPC in Hindi
भारतीय दण्ड सहिंता ( Indian Penal Code ) की धारा 378 क्या है । पाठको द्वारा धारा 378 के सन्दर्भ मे सबसे ज्यादा गूगल पर Search किये जाने वाला वाक्य है ” Section 378 IPC in Hindi ”।
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इस ब्लॉग पोस्ट मे धारा 378 IPC से जुड़े सजा के प्रावधान ( Punishment in section 378 IPC ) और जमानत के प्रावधानों ( Bail in section 378 IPC ) की भी संपूर्ण जानकारी शामिल की गयी है।
धारा 323 को समझने के लिए हमें विभिन्न बिन्दुओ को पढ़ना पड़ेगा।
- धारा 378 IPC क्या है ?
धारा 378 IPC क्या है ?
धारा 378 के अनुसार जब कोई व्यक्ति :
- जानबूझकर बेईमानी से किसी चलित वस्तु को उसके मालिक के स्वामित्व से ले लेता है।
- या फिर वास्तु के मालिक से बिना पूंछे उस वस्तु को इधर उधर छुपा देता है। और सोचता है कि बाद मे उस वस्तु को ले जायेगा।
दोनों ही परिस्थिति मे व्यक्ति के ऊपर चोरी के अपराध की धारा 378 लगेगी।
धारा 378 IPC के उदहारण।
जानबूझकर बेईमानी से किसी चलित वस्तु को उसके मालिक के स्वामित्व से ले लेता है।
मोहन एक होटल मे जाता है। और वहां पर खाना खाता है। मोहन को होटल की चम्मच पसंद आ जाती है। मोहन उस चम्मच को बैग मे रख लेता है।
चम्मच को लेकर मोहन अपने घर चला जाता है। इस परस्थिति मे मोहन ने धारा 378 के अनुसार चोरी की है।
वस्तु के मालिक से बिना पूंछे उस वस्तु को इधर उधर छुपा देता है। और सोचता है कि बाद मे उस वस्तु को ले जायेगा।
मोहन एक होटल मे जाता है। और वहां पर खाना खाता है। मोहन को होटल की चम्मच पसंद आ जाती है। मोहन उस चम्मच को बैग मे नहीं रखता है बल्कि वही पास मे रखे गमले मे छिपा देता है। और सोचता है कि बाद मे चम्मच ले जायेगा।
इस परस्थिति मे भी मोहन ने धारा 378 के अनुसार चोरी की है।
दोनों ही परिस्थिति मे एक बात सामने निकल के आती है जैसे ही बेईमानी से किसी वस्तु को उसके स्वामी के स्वामित्व से दूर किया जाता है धारा के अनुसार चोरी का अपराध पूर्ण हो जाता है।
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