रासुका Act 1980 की पूरी जानकारी
उद्देश्य – रासुका या राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम सन् 1980 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बनाया गया, यह कानून ( रासुका ) केंद्र या राज्य सरकारों को ऐसे व्यक्तियों पर कार्यवाही करने का अधिकार देता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होते हैं ।
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रासुका कानून क्या है
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण कानून है, यह कानून केंद्र या राज्य सरकारों को निरोधात्मक शक्तियां देता है एवं ऐसे व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है जो राष्ट्र की सुरक्षा व एकता एवं अखंडता के लिए खतरा बन चुके होते हैं । अथवा जो सार्वजनिक व्यवस्था एवं सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा होते हैं। सरकारे , संबंधित व्यक्ति ( जिस पर रासुका लगाया जाता है ) को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतिकूल किसी भी तरह से कार्य करने से रोकने के लिए हिरासत में लेती है।
NSA / रासुका के तहत संबंधित अधिकारी को यह शक्ति होती है कि वह संदिग्ध व्यक्ति को बिना बताए 5 दिनों तक कैद में रख सकता है, जबकि विशेष परिस्थितियों में यह अवधि 10 दिन हो सकती है किंतु इसके बाद संबंधित अधिकारी को राज्य सरकार को रासुका लगाने का कारण बताना होता है एवं अनुमति लेनी होती है।
यह कानून सरकार को किसी विदेशी व्यक्ति को उसकी गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए गिरफ्तार करने या देश से बाहर निकालने की शक्ति भी देता है।
रासुका की सजा एवं धारा
रासुका के तहत सरकार किसी संदिग्ध व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने तक जेल में रख सकती है लेकिन संबंधित व्यक्ति के खिलाफ नए सबूत मिलने पर इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है। रासुका के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को मुकदमे के दौरान वकील सहायता प्राप्त करने का अधिकार नहीं है, हालांकि वह सरकार द्वारा गठित सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है । राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 9 के तहत सलाहकार बोर्ड गठित करने का प्रावधान किया गया है इसके तहत केंद्र या राज्य सरकारे जब आवश्यक समझे एक या एक से अधिक सलाहकार बोर्ड का गठन कर सकती हैं इसके सदस्य हाईकोर्ट के न्यायाधीश रह चुके होते हैं इस बोर्ड मे तीन सदस्य होते हैं इन्हीं से एक अध्यक्ष होता है। आरोपित व्यक्ति की जमानत व गिरफ्तारी में सलाहकार बोर्ड की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है।
रासुका की जरूरत क्यों पड़ी
संविधान का अनुच्छेद 22 (3) (b) राज्य को सुरक्षा व सार्वजनिक व्यवस्था के कारणों से, निवारक निरोध और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध की अनुमति देता है अर्थात सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर कानून बना सकती है।
लोकतंत्र में संविधान का शासन होता है और लोकतांत्रिक सरकार , कानून के अनुसार प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ही कार्यवाही कर सकती है, अतः यह आवश्यक हो जाता है कि सरकार ऐसे मामलों से निपटने के लिए कानून का निर्माण करें क्योंकि बिना कानून के राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध कार्य करने वाले व्यक्तियों पर कार्यवाही करना संभव नहीं है क्योंकि भारत में संविधान और कानून का शासन है जो लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है ।
रासुका लाने के बदलाव
क्योंकि यह सरकारों को निरोधात्मक शक्तियां प्रदान करता है और संदिग्ध व्यक्तियों पर कार्यवाही करने की शक्ति प्रदान करता है अतः सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर इसका प्रयोग करती हैं इससे ऐसे व्यक्तियों पर भय व्याप्त होता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध कार्य करने की चेष्टा करते हैं और इस कानून के भय के चलते ऐसे अवांछित कार्य करने वाले लोगों को डर होता है कि यदि हम ऐसा कार्य करेंगे तो सरकार हमारे ऊपर कठोर कार्यवाही करेगी क्योंकि यह कानून काफी कठोर माना जाता है। हालांकि राजनीतिक प्रतिशोध या अन्य अनावश्यक कारणों से यदि रासुका कानून का दुरुपयोग होता है तो यह लोकतंत्र में समाज व नागरिको के लिए चिंता का विषय होता है।
केस स्टडी
विश्व व्यापी कोरोना महामारी के दौरान जब डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ पर हमले किए गए तब उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सरकारों ने आरोपियों पर रासुका के तहत कार्यवाही की, इन राज्यों ने रासुका के तहत कार्यवाही किए जाने पर दलील दी कि महामारी के चलते लोगों की जान खतरे में है तब हमारे डॉक्टर मेडिकल स्टाफ नागरिको के जीवन को बचाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं और विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारियां का निर्वहन कर रहे हैं ऐसी स्थिति में इन पर हो रहे हमले कोरोना के खिलाफ लड़ाई के प्रयासों में बाधा पहुंचाते हैं।
(2) हाल ही में खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई, अमृतपाल द्वारा की जा रही गतिविधियां एवं कृत्य निश्चित रूप से देश की एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला था ।
(3) हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने धार्मिक ग्रंथ जलने वालों पर रासुका के तहत कार्यवाही की, इस कार्यवाही को कोर्ट ने भी सही माना जिसमें कहा गया की धार्मिक ग्रंथ जलाने से समाज में वैमनस्य,अराजकता एवं हिंसा फैलने का खतरा था जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था ।
(3) हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप पर रासुका के तहत कार्रवाई की, मनीष कश्यप पर आरोप था कि उसने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमलो को लेकर झूठी खबरें प्रसारित की और और इसके इस कृत्य से सामाजिक सद्भाव और देश की एकता को खतरा था । हालांकि मद्रास हाई कोर्ट ने यह कहते हुए रासुका कार्यवाही पर रोक लगा दी की कश्यप को हिरासत में लेते समय उचित प्रक्रिया एवं नियमों का पालन नहीं किया गया था ।