360 IPC in Hindi – धारा 360 क्या है
360 IPC in Hindi – धारा 360 की पूरी जानकारी
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क्या आपने कभी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 360 के बारे में सुना हैम ?
यह धारा अपहरण या अपहरण से संबंधित अपराधों से जुड़ी हुई है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम बताएंगे कि आईपीसी की धारा 360 क्या है, इसमें शामिल अपराधों के प्रकार, उन अपराधों के लिए दंड, और उन मामलों के वास्तविक दुनिया के उदाहरण प्रदान करेंगे जिन्हें इस धारा के तहत आजमाया गया है।
तो, धारा 360 IPC [ 360 IPC in Hindi ] वास्तव में क्या है? यह भारतीय दंड संहिता की एक धारा है जो अपहरण या अपहरण से जुड़ी हुई है।
यह खंड उन मामलों को कवर करता है जहां कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध, उसकी सहमति के बिना या उसकी ओर से इसे देने के लिए अधिकृत किसी व्यक्ति की सहमति के बिना ले जाता है या हिरासत में लेता है। 360 IPC in Hindi
अब आइए आईपीसी की धारा 360 के तहत आने वाले अपराधों के प्रकारों पर नजर डालते हैं।
अपहरण या जबरन वसूली के उद्देश्य से अपहरण से लेकर अपहरण या गंभीर नुकसान पहुंचाने या यहां तक कि मौत के इरादे से अपहरण तक के विभिन्न स्तर के अपराध हैं।
यह खंड उन मामलों को भी कवर करता है जहां कोई व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध शादी करने के इरादे से ले जाता है या हिरासत में लेता है। 360 IPC in Hindi
इन अपराधों के लिए सजा नुकसान की डिग्री के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
- जबरन वसूली के उद्देश्य से अपहरण या अपहरण के लिए अधिकतम सजा 7 साल तक की कैद और जुर्माना है।
- अधिक गंभीर मामलों के लिए जिनमें गंभीर क्षति या मृत्यु शामिल है, सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।
- जबरन शादी के इरादे से किसी महिला के अपहरण या अपहरण से जुड़े मामलों में 10 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
आईपीसी की धारा 360 के तहत किस तरह के मामले आते हैं, इसका अंदाजा लगाने के लिए यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
- 2018 में, एक व्यक्ति ने हरियाणा में एक महिला का उसकी मर्जी के खिलाफ शादी करने के इरादे से अपहरण कर लिया। उन पर आईपीसी की धारा 360 के तहत आरोप लगाया गया था और उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।
- 2020 में, पुरुषों के एक समूह ने जबरन वसूली के उद्देश्य से दिल्ली में एक व्यवसायी का अपहरण कर लिया। उन पर आईपीसी की धारा 360 के तहत आरोप लगाए गए और उन्हें 7 साल कैद की सजा सुनाई गई।
अंत में, धारा 360 आईपीसी भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण खंड है जो अपहरण या अपहरण से संबंधित अपराधों से संबंधित है। इन अपराधों के लिए दंड गंभीर हो सकता है, और ऐसे मामलों के वास्तविक दुनिया के कई उदाहरण हैं जिन्हें इस धारा के तहत आजमाया गया है।
इस तरह के अपराधों को होने से रोकने के लिए और जब वे होते हैं तब न्याय सुनिश्चित करने के लिए इस धारा और इसके प्रभावों से अवगत होना महत्वपूर्ण है। 360 IPC in Hindi
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हमारा मकसद है की कानून की जानकारी हांसिल करने मे भाषा को दीवार नहीं बनना चाहिए । ब्लॉग मे हिंगलिश ( Hindi +English ) का इस्तेमाल किया गया है । 360 IPC in Hindi
धारा 360 को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमने इसे 3 भागो मे विभाजित किया है।
- व्याख्या (Interpretation)
- तत्व(Element)
- सज़ा (Punishment)
भारतीय दंड संहिता की धारा 360 क्या है?
जब कोई व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति को भारत की भूगोलिक सीमा ( Geographical territory of India ) से बाहर ले जाता है ।
कानूनी तौर ये मान लिया जाता है कि उसका भारत की सीमा से अपहरण ( Kidnapped from India ) कर लिया गया है ।
जैसे ही व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध भारत की सीमा से बाहर ले जाया जाता है । उस परिस्थिति मे भारत की सीमा पार करते ही ये अपराध पूर्ण हो जाता है । 360 IPC in Hindi
आईपीसी की धारा 360 के अनुसार जो भी कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का उस व्यक्ति की ,या उस व्यक्ति की ओर से सहमति देने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत व्यक्ति की सहमति के बिना भारत की सीमाओं से परे ले जाता है वह भारत में उस व्यक्ति का व्यपहरण करना कहलाता है।
धारा 360 के तत्व ( Element)
किसी भी अपराध को धारा 360 के अंतर्गत लाने के लिए कुछ मुख्य तत्व ( Elements ) को किये गए अपराध के अंदर होना जरूरी है।
- भारत की सीमा से बाहर ले जाना (Beyond the limits of India )
कोई भी अपहरण का अपराध सामान्य अपहरण ( kidnapping ) का अपराध रहता है। जब तक व्यक्ति को भारत की सीमा से बाहर ले जाया नहीं जाता।
इसलिए भारत की सीमा से व्यक्ति को बाहर ले जाना धारा 360 का महत्वपूर्ण तत्व ( Element ) है।
IPC की धारा 360 मे सजा का प्रावधान ।।
भारतीय दंड संहिता की धारा 360 का दंड भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अनुसार दिया जाता है।
भारतीय दंड संहिता 363 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना भारत की सीमा से बाहर ले जाता है तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय न्यायालय सात वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित करती है। 360 IPC in Hindi
IPC 360 धारा का उदहारण।।
आइये धारा 360 को एक कहानी के माध्यम से समझते है।
मोहन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का निवासी है। मोहन की उम्र 18 साल से ज्यादा है। मोहन अपने काम के सिलसिले बरेली जाता रहता है। रमेश और मुकेश मोहन को जबरन अपने साथ कोलकाता ले जाते है। 360 IPC in Hindi
कोलकाता पहुँचने तक हम ये नहीं कह सकते की मोहन का अपहरण हुआ है । जैसे ही वो मोहन को जबरन पानी के जहाज मे बैठा देते है और जहाज भारत की आधिकारिक सीमा से बहार निकलते ही मोहन के अपहरण का अपराध पूर्ण हो जायेगा।
मोहन के भारत की आधिकारिक सीमा के बाहर जाते ही रमेश और मुकेश IPC की धारा 360 मे भारत से अपहरण का अपराध के दोषी मने जायेंगे।
भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में जमानत का प्रावधान ।।
भारतीय दंड संहिता 360 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना भारत की सीमा से बाहर ले जाता है तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय न्यायालय सात वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित करती है।
यह एक गैर जमानती अपराध है तो IPC की धारा 360 में जमानत मिलने का प्रावधान बहुत सख्त और कठिन है। 360 IPC in Hindi
भारतीय दंड संहिता की धारा 360 ज़मानती यह गैर जमानती अपराध है।
आईपीसी की धारा 360 मे सजा का प्रावधान अभी हमने पढ़ा अब हम इस विषय में जानने की कोशिश करेंगे कि यह अपराध गैरजमानती है या जमानती अपराध है?परंतु उससे पहले हमें जमानती अपराध और गैर जमानती अपराध के विषय में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। 360 IPC in Hindi
गैर जमानती अपराध क्या है?
गैर जमानती अपराधों में डकैती लूट रेप हत्या की कोशिश फिरौती के लिए अपहरण ओर गैर इरादतन हत्या जैसे अपराध शामिल हैं इस तरह के मामलों में अदालत के सामने तथ्य पेश किए जाते हैं और फिर कोर्ट जमानत पर निर्णय लेता है गैर जमानती अपराध वह अपराध होता है जिसमें अपराध करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना पड़ता है। 360 IPC in Hindi
जमानती अपराध क्या है?
जमानती अपराध में मारपीट ,धमकी, लापरवाही से मौत,लापरवाही से गाड़ी चलाना जैसे अपराध आते हैं। ऐसे अपराधों को जमानती बताया गया है और इसमें अपराधी की जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्तव्य हैजमानती अपराधों में कोर्ट को जमानत देना अनिवार्य है
परंतु गैर जमानती अपराध में कोर्ट( न्यायालय) अपनी इच्छा के अनुसार अपराधी की जमानत याचिका को खारिज कर सकता है।
5.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में धारा 90 (सहमति) का महत्त्व क्या है।
लेकिन भारतीय दंड संहिता के धारा 360 के बारे में विस्तृत अध्ययन से पहले हमें भारतीय दंड संहिता क्या है इसका संपूर्ण ज्ञान होना एक महत्वपूर्ण विषय है।
अभी हमने धारा 360 के बारे में विस्तृत जानकारी देते समय यह जाना कि अगर कोई व्यक्ति बिना सहमति के किसी व्यक्ति को भारत की सीमा से बाहर ले जाता है तो वह उस व्यक्ति का व्यपहरण करता है परंतु सहमति क्या है? धारा 90 सहमति के विषय में विस्तृत जानकारी देती है । 360 IPC in Hindi
×धारा 90
सहमति डर व गलत धारणा के तहत ली जाने के लिए जानी जाती है। एक समिति ऐसी सहमति नहीं है जैसा कि इस संहिता के किसी भी खंड द्वारा इरादा हैं। यदि सहमति किसी व्यक्ति द्वारा चोट के डर से या तथ्यों की गलत धारणा के तहत दी गई है और यदि कार्य करने वाला व्यक्ति जानता है,या उसके पास विश्वास करने का कारण है, की सहमति ऐसे भय या गलत धारणा के परिणामस्वरूप दी गयी थी, या पागल व्यक्ति की सहमति ली गई थी। 360 IPC in Hindi
या सहमति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दी गयी है जो दिमाग की अस्वस्थता यह नशे से उस प्रकृति और परिणाम को समझने में असमर्थ हैं जिसके लिए वह अपनी सहमति दे रहा है यदि सहमति 12 वर्ष के व्यक्ति से कम उम्र के व्यक्ति के द्वारा दी गयी है तो इन सभी के होते हुए उस व्यक्ति की सहमति को कानूनी रूप से गलत व अपूर्ण मानते हैं। 360 IPC in Hindi
× उदाहरण
राम और श्याम दो मित्र हैं। एक रोज़ श्याम नशे की अवस्था में अपनी सारी जमीन राम को देने को सहमत हो जाता है। परंतु सुबह के समय जब राम श्याम के घर उससे जमीन के कागज की मांग करता है तो वह उसे मना कर देता है, राम इस मामले को अदालत में ले जाता है तो श्याम का वकील धारा 90 का हवाला देते हुए जीत जाता है । 360 IPC in Hindi
2.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 से संबंधित कुछ कानूनी मामलों की जानकारी।
Jyotish Dash and Anr. V. State of Tripura
3.भारतीय दंड संहिता की धारा 360 का IPC में मूल?
धारा 360 का मूल IPC 1860 है और IPC 1860 एक व्यापक कानून है जो भारत में आपराधिक कानून के वास्तविक पहलुओं को शामिल करता है यह अपराधों को बताता है और उनमें से प्रत्येक के लिए सजा और जुर्माना बताता है। 360 IPC in Hindi
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